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बातें किताबें: “अरु ज़िन्दगी” मैंने सोचा था,तुम मुझे मुड़कर एक बार तो देखोगी….

अरविंद जी की कविताएं एक तरह का कम्युनिकेशन है वो कम्युनिकेशन जो हम अपने अपनो से कई बार करते तो हैं लेकिन सिर्फ एहसासों में लफ़्ज़ों में नहीं.

सफ़दर हाशमी : जब शोषितों के लिए उठने वाली आवाज़ को हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया

हम बात कर रहे हैं उसकी जो एक रंगकर्मी था, कलाविद था, एक सामाजिक कार्यकर्त्ता था, आवाज़ था शोषितों और आम लोगों की, उसकी जो सफ़दर हाशमी था.