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SHAHID AZMI: ज़िन्दगी की वकालत करने वाले को मिली मौत की सज़ा!

Shahid Azmi ये वो नाम है जो सुर्ख़ियों में आज से लगभग 10 साल पहले आया जब उनकी हत्या कर दी गई| एक वकील जिसने अपना पूरा जीवन सिर्फ निर्दोष लोगों को झूठे आरोपों से बचाने में लगा दिया, जिसके लिए उसको न सिर्फ देश के सिस्टम में बैठे उन बड़े और कद्यावर लोगों से लड़ना पड़ा साथ ही परिवार का विरोध भी झेलना पड़ा, उनकी पत्नी ने उन्हें तलाक दे दिया और घर के बाकि लोगों ने भी उनसे किनारा सा कर लिया| 2010 में फरवरी की 11 तारीख को Shahid Azmi की गोली मार कर हत्या कर दी गई|

चलिए शुरू से शुरू करते हैं…

Shahid Azmi File Photo
Shahid Azmi File Photo

शाहिद अज़मी का जन्म 1977 को गोवंडी मुंबई में हुआ था, ये अपने 5 भाई बहनों में तीसरे थे| बात 1992 की है जब बाबरी मस्जिद विध्वंश के बाद जनता में आक्रोश था और जगह – जगह सांप्रदायिक दंगे भड़के हुए थे, मुंबई भी दंगों की आग से अछूता नहीं था| शाहिद उस वक्त महज़ 14 वर्ष के थे जब पुलिस ने उन्हें दंगाइयों की मदद के अरूप में पकड़ा|

ट्रेनिंग के लिए मिलिटेंट कैंप गए

Shahid Azmi And Rajkumar Rao File Photo
Shahid Azmi And Rajkumar Rao File Photo

शाहिद उस वक्त महज़ 14 वर्ष के थे जब पुलिस ने उन्हें दंगाइयों की मदद के अरूप में पकड़ा| लेकिन बालिग न होने की वजह से छोड़ भी दिया गया, इसके बाद से ही शाहिद और शाहिद जैसे और बच्चों के मन में प्रसाशन के प्रति ज़हर भर गया| जिसके फलस्वरूप वो भी अपने साथियों के साथ कश्मीर चले गये मिलिटेंट कैंप में ट्रेनिंग लेने के लिए पर कुछ ही दिनों में वहां की बर्बरता से घभराकर वापस मुंबई भाग आये| कश्मीर जाना उनकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलतियों में शुमार है क्यूंकि इसकी खबर पुलिस को लग गई थी|

सात साल तक रहे जेल में बंद

Guiding Principles of Shahid's Life
Guiding Principles of Shahid’s Life

साल 1994 में उन्हें शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और कुछ बड़े नेताओं की हत्या की शाज़िश में गिरफ्तार कर लिया गया, केस चलता रहा और जब फैसला आया की उन्हें सभी आरोपों से मिक्त किया जाता है अर्थात वो निर्दोष हैं तब तक 7 साल बीत चुके थे और शाहिद जान गये थे की अगर सिस्टम और कानून से लड़ना है तो उनको कानून की जानकारी होनी चाहिए इसलिए उन्होंने जेल में ही रहते हुए अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा कर लिया था|

जेल में ही पूरी करी LLB की पढाई

Shahid Azmi in his Office
Shahid Azmi in his Office

जेल में रहते हुए पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ ही उन्होंने अपनी LLB की डिग्री भी कम्पलीट की, उन्होंने अपना जीवन सिर्फ उन लोगों के लिए लड़ने में लगा दिया जिन्हें पुलिस द्वारा सिर्फ इसलिए पकड़ा या TADA जैसे संगीन आरोप लगाये गये क्यूंकि उनके नाम मुस्लिम थे| उन्होंने अपने वकालत के करियर की शुरुआत 2003 से की और उनको पहली सफलता मिली घाटकोपर बस बोम्बिंग केस में, अपने 7 साल के छोटे से करियर में उन्होंने कई हाई प्रोफाइल केसेस किए जिनमे आरोपी के ऊपर TADA, POTA और MACOCA जैसी धाराओं में केस चल रहा था| उन्होंने लगभग 17 निर्दोष लोगों को बरी कराया इस बीच उनको कई बार धमकियां भी मिली लेकिन उन्होंने अपने कदम पीछे नहीं हटाये|

साल 2009 में हुआ जानलेवा हमला

A Newspaper Cutting on Shahid Azmi's Death
A Newspaper Cutting on Shahid Azmi’s Death

पहली बार साल 2009 में जब वो कहीं पर जा रहे थे तब उनकी कार पर जानलेवा हमला हुआ, इसके बाद साल 2010 में जब वे 26/11 मुंबई ब्लास्ट के भारतीय आरोपी फहीम अंसारी की पैरवी कर रहे थे, ये साबित करने की कोशिश कर रहे थे की फहीम को भी सिर्फ उसके नाम के आधार पर ही फंसाया जा रहा है, तो उनको धमकियाँ बढ़ने लगी पर वे पीछे नहीं हटे| अंत में जब वे नहीं माने तो उनको रोकने के लिए उनकी हत्या कर दी गई|हालाँकि फहीम को सबूतों के अभाव में कोर्ट ने साल 2012 में बरी कर दिया|

राजकुमार राव ने निभाया शाहिद का किरदार

Shahid Movie Poster
Shahid Movie Poster

आपको बता दें की शाहिद पर SHAHID नाम से ही 2013 में एक फिल्म भी आई थी जिसमे Shahid Azmi का किरदार Rajkumar Rao ने निभाया था|फिल्म के निर्देशक के तौर पर हंसल मेहता ने शाहिद के जीवन को बखूबी परदे पर फिल्माया जिसे काफी सराहा भी गया|

Shahid's File Photo
Shahid’s File Photo

शाहिद की मौत के साथ ही हमारे बीच से उम्मीद की एक और लौ विदा ले गयी| उनकी कहानी हमें प्रेरणा देती है की हमारे साथ कितना भी गलत हो जाए फिर भी हम न्यायिक और सही मार्ग पर चलकर दुनिया को हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए एक बेहतर जगह बना सकते हैं|

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